इस साल धोनियों और भज्जियों के बीच पद्मश्री की सूची में जयंत महापात्र का भी नाम है। बहुत देर से और कम ही सही फिर भी! वे अब 81 साल के हो चुके हैं। 'चंद्रभागा' का प्रकाशन, जहां तक मैं जानता हूं, अब स्थगित है। बहुत कुछ पहल की तर्ज़ पर। भारतीय कविता के लिए यह अपूरणीय क्षति होगी।
पुनश्च: जानता हूं ब्लॉग आजकल ठंडा है। फिर भी अगर आप यहां हैं तो धन्यवाद! एक दोस्त के शब्दों में कहूं तो - मंदी ने वॉट लगाई है रे बाबा! जल्दी मिलते रहेंगे अब, ऐसी आशा है।
1983 में नाभा, पंजाब में जन्म। सोचता हूं जब पैदा हुआ तो अनेक अपेक्षाओं में कविता लिखना तो नहीं ही रहा होगा। बहरहाल, काफ़ी सालों से लिख रहा हूं, या यूं कहें लिखने की कोशिश कर रहा हूं।
इसी दौरान अंग्रेज़ी में दो संग्रह छपे और शायद पढ़े भी गए। कई अच्छी पत्रिकाओं में छ्पने का अवसर मिला। आजकल नोएडा में Adobe Systems के साथ संबद्ध।